Friday, June 13, 2014

सीधी बात- एक परीक्षार्थी से



सवाल एक :

हे परीक्षार्थी, आखिर आप परीक्षक को हर दर्जे का बुद्धू क्यों समझते हैं? अव्वल तो सफ़े के दोनो तरफ गज-गज भर के हाशिये छोड़ते हो । फिर मालदा आम की कलमें सी रोपते हुए आर पार निकल जाते हो। और दम इस बात का भरते हो मानो चीन के गाँवों में आबादी बो रहे हो । ड्यूवी का कहा गांधीजी के मुंह में डाल, अरबिन्द की उक्ति सुकरात के मत्थे मंढ सोचते हो किसी को पता भी नहीं चलेगा! अपनी घटिया तुकबंदी को इंवर्टेड कॉमा  में रखकर मीर का कलाम बनाकर चला दोगे और हाथ भी नहीं आओगे। उस मीर का, जिसके सामने अकबर और जौक भी पानी भरते हैं। यकीन नहीं, तो मुलाहिजा फरमायें:

      न हुआ, पर न हुआ मीर का अंदाज़ नसीब
      जौक’, यारों ने बहुत ज़ोर गज़ल में मारा

या फिर मियां अकबर का यह कुबूलनामा –

      मैं हूं क्या चीज, जो  इस  तर्ज़  पे  जाऊं अकबर
      नासिख-औ-ज़ौक भी जब चल न सके मीर के साथ

भाई, परीक्षार्थी हो परीक्षार्थी रहो। चार्ल्स शोभराज क्यों बनते हो? कलम के रास्ते कागज पर उतरे अपने दिमागी फितूर को सवालों के जवाब बता कर परीक्षक को क्यों ठगते हो?
 

सवाल दो :

प्रिय परीक्षार्थी, आप परीक्षक को बिकाऊ मानें, हमें कोई ऐतराज़ नहीं। कारण - आज सभी तो बिकाऊ हैं। मगर एक पीएच.डी. धारी परीक्षक की इज्ज़त क्या इतनी सस्ती है कि कॉपी से नत्थी किए पाँच सौ रूपल्ली के एक नोट में लुट जाए! उस पर यकीन यह कि इस ज़लालत के बाद भी परीक्षक आपको पास कर देगा। प्रिय परीक्षार्थी, आपकी जनरल नॉलेज तो बेहद कमजोर है। थ्री-जी घोटाला, टेलीफ़ोन स्कैम और मेडिकल दाखिला धांधली में बंटी रक़मों का आपको बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं है। सामान्य ज्ञान की कमी को देखते हुए आपका पास होने का हक़ ही क्या बनता है? मेरे हिसाब से तो अगर आप खुद ब खुद पास हुए जा रहे हो, तो भी परीक्षक को आपको फेल कर देना चाहिए। क्योंकि आप अगर गलती से पास हो गए तो जहां तहां यही ढिंढोरा पीटते फिरोगे कि “देखो कितना भ्रष्ट परीक्षक है, घूस लेकर पास करता हैं।“ यानि फेल अपने दुष्कर्मों से होगे, मगर बदनाम करोगे बेचारे परीक्षक को।


सवाल तीन :

परीक्षार्थी श्री , आप मुंह से भले ही कुछ न कहें आपका चाल चलन सब कह देता है । क्या यह सच नहीं कि आप परीक्षक को एक कबाड़ी  से ज़्यादा कुछ नहीं समझते? ऐसा कबाड़ी जो मूल्यांकन केंद्र आते समय दिमाग घर पर छोड़कर, हाथ में फीता या तोल-कांटा लेकर आता है । तभी परीक्षा हाल में तुम ऐसे कमाल करते हो। तुम्हें संजीवनी बूटी लाने को कहते हैं। बदले में तुम हिमालय पर्वत टिका कर चलते बनते हो। अब मरो, फिरो ढूंढते संजीवनी! सब कहूँगा मगर सच नहीं कहूँगा की तर्ज पर एक वही नहीं लिखते जो पूछा गया है, बाकी सब लिख मारते हो। उस पर मानते यह हो गोया सुभाषितानि रच रहे हो! तुम तो फैज साहब के कोई पक्के शागिर्द नज़र आते हो, भाई। जो अपनी परीक्षा के दिन याद करते हुए अपने अनुयायियों को बिना लाग लपेट कहते हैं:

            उनसे  जो  कहने  गए  थे  'फैज़' जां सदका किए
            अनकही ही रह गयी वह बात सब सब बातों के बाद

जिसका भावार्थ है कि परीक्षार्थी को चाहिए कि वह कहने में हिचके नहीं, अपनी बात लपक-लपक कर कहे। आखिर कहने की स्वतन्त्रता भी कोई चीज है! भले ही कह पाये या ना कह पाये, पर कहने में कोई कोर कसर न रखे। इस चक्कर में कई-कई कॉपियाँ जरूर भर दे। ठीक वैसे ही जैसे कोई देहाती स्त्री पुत्र की चाह में कई अनचाही पुत्रियों को जन्म दे-दे कर घर भर देती है।

सवाल चार :

भाई परीक्षार्थी, इन कारनामों के बाद यदि परीक्षा का फल खराब निकल आए तो इसका इल्ज़ाम परीक्षक के सर धरना कहाँ तक ठीक है? जबकि परीक्षक न तो धृतराष्ट्र है जो पुत्र मोह में दुर्योधन को राजपाट दे दे, न ही द्रोण कि द्वेष वश एकलव्य का अंगूठा कटवा ले। न उसे किसी उधो से कुछ लेना, न किसी माधो को कुछ देना। परीक्षा के फल तो किस्मत के लेखे हैं। परीक्षक की भला क्या औकात जो विधि के काम में दखल दे! वह तो सभी मूल्यांकन कार्य खुद को अकर्ता समझते हुए निपटाता है। यही वजह है कि मूल्यांकन हाल के बीचों बीच एक गोला खींच उसके इर्द गिर्द चार पाँच गोले और बना देता है। बीच के घेरे में तीन और बाहर के घेरे में क्रमशः चार, पाँच, छह सात और आठ लिख देता हैं। फिर अच्छी तरह मिलाई गयी कापियाँ दोनों मुट्ठियों में भरकर छत की ओर उछाल देता है। अब कौन सी कॉपी किस घेरे में जा गिरेगी, खुद परीक्षक को भी पता नहीं होता। अंत में घेरे में लिखे नंबर बिना किसी छेड़ छाड़ के कॉपियों पर चढ़ा देता है। किसको तीन मिलें किसे आठ, ये परीक्षार्थी का अपना नसीब। इस तरह परीक्षक अपने हाथ मे कुछ भी नहीं रखता। वह न आठ का श्रेय लेता है, न तीन का इल्जाम।
कहा भी है –

      सवाल तो बिना मेहनत के हल नहीं होते
      नसीब को भी मगर इम्तहान में रखना

इम्तहान मे मुकद्दर रखने में कोताही तुम खुद बरतो। मगर खराब नंबरों का उलाहना परीक्षक को दो। ये कहाँ का इंसाफ है?

जवाब दो, भिया परीक्षार्थी!!  


Monday, June 2, 2014

भर्ती सूचना





दक्षिण भारत स्थित कंसल्टेन्सी क्षेत्र की हम एक अग्रणी मल्टीनेशनल कंपनी हैं। कंपनी के चेन्नै और बेंगलुरु ऑफिसों में सिस्टम एनेलिस्ट की तीन सौ पच्चीस रिक्तियों हेतु आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। मालूम हो कि कंपनी की आधारशिला विक्रम संवत 2052 माह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न दस बज कर साढ़े बत्तीस मिनट पर रखी गयी थी। कंपनी के नक्षत्रों का अधिपति वृहस्पति तथा राशि मकर है।  

योग्य आवेदकों के पूर्णतः भरे हुए एवं हल्दी कुंकुम लगे आवेदन पत्र संस्था निदेशक के नाम शगुन के रु. अक्षरी एक हजार (आरक्षित वर्ग हेतु रु. 250 मात्र) के मांग पत्र तथा मय समस्त दस्तावेज़ों के सूचना प्रकाशित होने के 15 दिन के अंदर हैदराबाद मुख्यालय पर पहुँच जाने चाहिएँ। ऐसे आवेदन जिनमें आवेदक की जन्म-कुंडली की सत्यापित प्रति संलग्न नहीं होगी बिना किसी जांच के तत्काल खारिज कर दिये जाएंगे। आवेदन करने से पूर्व आवेदक कृपया अपनी पात्रता स्वयं सुनिश्चित करें। वे उम्मीदवार जिन पर आवेदन के समय शनि की दशा भारी होगी अथवा राहु-केतू की छाया होगी, अपात्र करार दे दिये जाएंगे। पूजा-परिहारम द्वारा रुष्ट ग्रहों की मान मनोव्वकी चेष्टा पूरक (सप्लीमेंटरी) से परीक्षा पास करने का प्रयास माना जाएगा। अतः इस श्रेणी के आवेदनों पर विचार करना संभव नहीं होगा।

चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो कर संस्था और आवेदक की जन्म-कुंडली मिलान पर आधारित होगी। मिलने वाले गुणों की संख्या के आधार पर श्रेणी और वर्गवार वरीयता सूचियाँ बनाई जाएंगी। उपलब्ध पदों के दस प्रतिशत स्थान मंगली वर्ग के लिए आरक्षित हैं। आरक्षित वर्ग के आवेदकों को कुंडली मिलान हेतु नियमानुसार एक निशुल्क पूजा/अनुष्ठान कराने की छूट दी जाएगी। किन्तु उपाय के उपरांत संशोधित कुंडली का मिलान परम आवश्यक होगा। संस्थानम की कुंडली से किन्हीं दो आवेदकों की कुंडली का हूबहू मिलान होने की स्थिति में अधिक उम्र वाले आवेदक को वरीयता दी जाएगी। कंपनी द्वारा अधिकृत ज्योतिषाचार्यों के पेनल का निर्णय अंतिम और सभी के लिए बाध्यकारी होगा। इस संबंध में कोई वाद/विवाद स्वीकृत नहीं किया जाएगा।

हमारे लिए कंपनी और आवेदक दोनों की सुख शांति सर्वोपरि है। हम चाहते हैं कि हम और आप मिल कर एक लंबी पारी खेलें। अतः कुंडली मिलान का आयोजन हर दृष्टि से उत्तम मुहूर्त में ही सम्पन्न किया जाएगा। आधिकारिक गणना के अनुसार अंतिम तिथि के तीन संवत्सर ग्यारह माह और उन्नीस दिन बाद का मुहूर्तम दोनों पक्षों के लिए अत्यंत शुभ और मंगलकारी है। कंपनी इस श्रेष्ठ घड़ी की प्रतीक्षा करेगी एवं हड़बड़ाहट में कोई ऐसा वैसा कदम नहीं उठाएगी। आवेदकों को भी सलाह है कि वे धैर्य रखें व अन्यत्र आवेदन भेज कर स्वयं का अनिष्ट न करें।  

इति।

तिथि: विक्रम संवत 2071, आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष, एकादशी।