Monday, June 8, 2015

बा-पटरी


['त्यागी उवाच' के तेवर से अलग  पेश है आज एक कविता]

कई दिनों बाद,
शाम भूख महसूस होने पर
भेल बनाई,
खाते-खाते टीवी पर
बकवास देखी.

          कई दिनों बाद,
          आज बालकनी से
          सूखे कपडे उतार कर
          तह किये.
          पौधों को
          कई दिनों बाद
          जी भर पानी दिया.

कई दिनों बाद,
सुबह-सुबह चाय पर
'भास्कर' और 'हिन्दू'
शब्द-शब्द चाट डाला.
नाश्ता कर चुकने पर  
थोड़ी देर
सुस्ताना भी हो गया.

          थाली में
          दाल रोटी समेत,
          कई दिनों बाद
          जो चीज घर में
          जहाँ हुआ करती थी
          उसी जगह लौट आई.

रात में
सोने से पहले आज
कई दिनों बाद,
तकिये के पास पड़े
'नया ज्ञानोदय' की
दो चार कहानियाँ तो
पक्का पढ़ मारूंगा.

           'रूटीन'
           सच में
           कितना अच्छा है!!


16 comments:

  1. बहुत दिनों बाद किए गए कार्य नएपन का अहसास कराते हैं . यह कविता नागार्जुन जी की कविता --बहुत दिनों के बाद अबकी मैंने जीभर देखे मौलश्री के ताजे टटके फूल ...की याद तो दिलाती है पर अपने आप में विशिष्ट है . यह तेवर भी अच्छा है .

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    1. कुजा राम राम, कुजा टप टप...कहाँ नागार्जुन, कहाँ ये ख़ाकसार! आपको ये तेवर पसंद आया, हमारा सौभाग्य!!

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  2. कई दिनों बाद आपके ब्लॉग को पढ़ने का अवसर मिला
    कई दिनों बाद बैठा हूँ अपने लैपटाप पर।

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    1. आप रोज-रोज लैपटॉप पर बैठें....आमीन!

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, पतन का कारण - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. नजरे- इनायत का आभार शिवम् भाई

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  5. कई दिनों बाद आप दिखाई दिये
    कई दिनो बाद हम भी आ गये :)

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  6. अच्छा लगा आप अपने ठिकाने पर लौट आये....हमारी इंतजार ख़त्म हुई!

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  7. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

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  8. manobhawon ka sundar shabdankan.....gazab ki prastuti sir ....

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    1. Thanks Nisha ji for your appreciating words

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  9. रूटीन पर बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है.साधुवाद.

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  10. सच है रूटीन के बिना बोरियत सी होती है
    आपने बहुत सुन्दर प्रस्तुत किया
    और ईन्तजार रहेगा

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  11. सच है रूटीन के बिना बोरियत सी होती है
    आपने बहुत सुन्दर प्रस्तुत किया
    और ईन्तजार रहेगा

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