Thursday, September 29, 2016

एक टीचर की क्षमा वाणी उर्फ़ मिच्छामी दुक्कडम


प्यारे विद्यार्थियों! आज आप सब अपना कोर्स पूरा कर घर जा रहे हैं. चले जाने के बाद मुमकिन है आप इधर का रुख कभी न करें. लिहाजा हम लोगों के लिए यह  आखिरी मौका है. सो, आप सब को हाजिर नाजिर मानते हुए आज हम आपके सामने सारे गुनाह कबूलना चाहते हैं. और उम्मीद करते है कि बड़ा दिल रखते हुए आप सब हमें माफ़ फ़रमाओगे.

जब भी मैं क्लास में घुसा हूँ तो अक्सर मैंने दो चार विद्यार्थियों को ऊंघते हुए, यहाँ तक कि टेबल पर सर टिकाए बाकायदा सोते हुए भी पाया है. अपने बचकाने जोश में उन्हें जगा कर हमने उनसे मीठे-मीठे सपने छीनने का गुनाह किया है. हमें क्या हक था कि उन्हें चैन की नींद से जगा कर उनमे सीखने की बेचैनी जगाते! अगर वाकई हम में कोई कूवत  होती तो 'ब्रेव न्यू वर्ल्ड' के डायरेक्टर की तरह उन्हें सोते में पढ़ाने का करिश्मा जरूर कर पाते. हम अपने नौसीखिएपन पर सर से पैर तक शर्मिंदा हैं और आपसे माफ़ी के तलबगार हैं.

शहर के कई कालेज अपने विद्यार्थियों को बिना क्लास में जाये डिग्री प्राप्त करने की सुविधा मामूली शुल्क पर देते है. मगर हमने आप सबको बिला नागा क्लास में आने पर मजबूर कर आपके समानता के अधिकार का हनन करने का अपराध किया है. मौका मिला होता तो क्लास से बचे हुए समय का सदुपयोग करते हुए आप भी अपने दूसरे तेज तर्रार साथियों की तरह छात्र राजनीति में उतर सकते थे. वरना औसत दिमाग के पढ़ाकू किस्म के विद्यार्थियों की तरह डिप्टी कलेक्टरी की राह तो पकड़ ही सकते थे. मगर अपने  अमानवीय कृत्य से आपका सुनहरा भविष्य छीन कर हम लोग आपसे दो कौड़ी की मास्टरी के लिए दस से पांच तक घिस्से लगवाते रहे. आप पर ढाए गए इन जुल्मों के लिए हमारी अंतरात्मा आज हमें बेहद कचोट रही है, जिसके निवारण के लिए आपके कदमों में आज हम अपना माफ़ीनामा पेश करते हैं.

गए ज़माने में हमारे टीचरों ने हमारी पीढ़ी के सावन भादों बरबाद किये थे, जिसका बदला हमने आपके सावन भादों बरबाद करके ले लिया. इस तरह गुरु ऋण चुकता किया. लिहाज़ा जिस वक़्त आपको अपने महबूब की जुल्फ़ें सुलझानी थीं हमने आपको दीगर सवालों में उलझाये रखा. उधर हरी भरी वादियों में मोरनियों के झुण्ड से घिरे मोर जी भर कर नाच रहे होते, इधर आप लोग क्लास की चारदीवारी के अंदर ऊलजुलूल फार्मूलों को साधने में हांफ रहे होते. यह सब हमारी  करनी का फल था जो आप भोग रहे थे. अपनी इस हरकत पर आज हमें बेइंतहा पछतावा हो रहा है. उम्मीद है कि आप हमारी पीढ़ी की इस खता को माफ़ कर दोगे.

माँ-बाप अपनी औलाद के लिए क्या कुछ नहीं करते! औलाद अगर नालायक हुई तो डोनेशन दे कर दाखिला दिला देते है, पढ़ाई में औसत है तो सेटिंग कर यूनिवर्सिटी टॉप करा लेते हैं. कहा गया है कि उस्ताद के लिए शागिर्द, औलाद की तरह ही होते हैं. लेकिन हमसे आपके लिए कुछ नहीं हुआ, जिसका हमें भारी अफ़सोस है. सरकारी मास्टर की भीरुता के चलते हमने गैस पेपर की आड़ में आपको प्रश्नपत्र आउट नहीं किये. आप कभी पास होने की गरज से एक दो नंबर माँगने भी चले आए तो हम फ़ौज की तरह यूँ अड़ गए मानों पाकिस्तान ने पुंछ या अखनूर मांग लिया हो. हम चाहते तो आपको संतान सुलभ लाभ पहुंचा सकते थे, पर नहीं पहुंचा पाए. परीक्षा हाल में भी फ़र्ज़ निभाने के नाम पर हम छापा मार कर यूँ चिटें बरामद करते फिरे जैसे आयकर अधिकारी काला धन बरामद कर रहे हों. नक़ल करते हुए पकड़ कर परीक्षा से बाहर करते हुए हम भूल गए कि बच्चा कितना भी बड़ा क्यूँ ना हो जाये आखिर रहता तो बच्चा ही है. कन्हैय्या की माखन चोरी समझ कर यशोदा की तरह झूठ-मूठ गुस्सा करते हुए माफ़ भी तो कर सकते थे! अपने इस गुनाह के लिए आज हम आपसे करबद्ध  क्षमा माँगते हैं.

सत्र भर हम आपकी जान के पीछे पड़े रहे, फिर भी चाहते हैं कि आप हमारे लिए दिल से इब्ने इंशा का यह शेर कहें:

कौन निभाता है उम्र भर ताल्लुक इतना

ऐ मिरे जान के दुश्मन तुझे अल्ला रखे               

20 comments:

  1. Awesome Respected Sir.. V r just proud to have u as our teachers... :-)

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  2. Awesome Respected Sir.. V r just proud to have u as our teachers... :-)

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  3. शब्दों की जादूगरी तो सिखा दीजिए जहाँपनाह

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    1. Usi ka prashikshan samjho...jitna aata sab apki najar Ganpati!!

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "पाकिस्तान पर कूटनीतिक और सामरिक सफलता “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. इसीलिए गुरु का स्थान भगवान से ऊँचा होता है ...उनके पास जो हुनर होता है उसे अपने शिष्य को सिखा देना चाहते हैं ...आपकी लेखनी लाजवाब है ...no words to say...

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  6. त्यागी सर!
    अब आपने माफी माँगी ही है तो माफ किये देते हैं. लेकिन माफी माननी ही थी तो सबसे बड़ा गुनाह जो आपने किया, उसकी माफी माँगनी चाहिए थी. वो बात तो आप पूरी तरह गोल कर गए सर! आज आदमी ने समाज में जो हालात पैदा कर दिए हैं, उनको देखकर लगता हि कि उनसे जानवर भी बेहतर हैं... वफ़ादारी, ईमानदारी, सहअस्तित्व के मामले में तो जानवर आज भी आदमियों से बेहतर हैं.
    इस सिचुयेशन में आपने मुझ जैसे जानवर को आदमी बनाना तो दूर, इंसान बनाने और एक अच्छा इंसान बनाने का जो गुनाह किया है, उसके लिये आप जितनी भी माफी मांगें वो कम है. मगर ये वाली बात आपने जान बूझकर नहीं की. क्योंकि इस बात के बाद आपको कोई भी माफी नहीं देता.
    मैं भी नहीं देने वाला माफी इस गुनाह के लिये. इसकी तो सज़ा मिलनी चाहिये आपको और आपकी सज़ा है कि आपके पैरों में बेडियाँ लगा दी जाएँ. और ये बेडियाँ होंगी, हमारे हाथों की... गुनाह हमारे तरफ हुआ है तो सज़ा भी हम ही देंगे.
    तो त्यागी सर, आपका पैर, हमारे हाथ... हमारे हाथ आपके पैर! एक बात और याद रखियेगा, इस सज़ा के खिलाफ आप किसी अदालत में अपील नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट (गुरुमाता की अदालत) में भी नहीं.

    आपका सताया एक शिष्य

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  7. Sir, baat ki gehrai toh samajhme as gai par satra k beech me hi yeah maafinaama kese publish kar dia!!!!! ��

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  8. Sir, baat ki gehrai toh samajhme as gai par satra k beech me hi yeah maafinaama kese publish kar dia!!!!! ��

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  9. गुरूजी प्रणाम.
    बहुत बुरा किये गुरूजी हमरे संग आप. आपका पता नहीं है न ऊ अरुनवा जो हमरी नक़ल करता था अउर आप उसका रोज कान उमेठते थे? आज जमीन की दलाली करता-करता बड़का लैंड लार्ड बन गया है. हम पढ़ लिख कर बने सरकारी लेखाकार. जानते हैं एक दिन ससुरा चाय पिलाने के बहाने ले गया अउर आप का मजाक उड़ा रहा था. कह रहा था..छोडो सरकारी नौकरी. आ जाओ हमरे धंधे में. जितना पाते हो उससे ज्यादा हमसे ले लेना. बहुत बुरा लगा लेकिन का करें? क़ाहे इतना पढ़ाये गुरु जी.?

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    1. प्रिय देबू
      बुरा किये तभी तो माफ़ी मांगत रहे बिटवा! अरे, हम तोहार अरुणवा की तरह लेंड लार्ड नहीं बना कर बस "पेन लार्ड" ही बना पाए, बस इहाँ उहाँ फुटवा उतार कर अऊर सुब्बो सुब्बो चिड़ियाँ की चूं-चूं सुन कर ही राजा माफ़िक समझने का गुनाह जरूर किया है बेटा!
      हमका माफ़ कर दई बिटवा!

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  10. Wonderful writing sir..you have beautifully displayed the ideal deeds of teachers in garb of satire. There is message of teachers contributions to in a students life. Message for students to appreciate duties of school college life in very light manner. .keep writing. ..

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  11. Der ayad durust ayad...der se aye par bhale aye! Abhar apka apne bade arth dhoondh liye! Aise hi hosala badhate rahenge to ye kalam yun hi chalti rahegi...!

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