Wednesday, September 16, 2009

डेंगू देव प्रसन्न हों!

सहमे हुए परिजन
कतार में आगे बढ़ रहें हैं
तीन-तीन, चार-चार की टुकडियों में।
रिसता हुआ रक्त फाहे से थामे हुए
पहली टुकडी जैसे ही वापस लौटती है
दूसरी चुपचाप
उसकी जगह ले लेती है
दूसरी के बाद तीसरी
फ़िर चौथी....सातवीं ....... ।
न जाने ताज़ा लहू के
कितने चढावों के बाद
प्रसन्न होगा तू , रक्त-पिपासु
एडीज ऐजिप्ट।

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