3 जून,रविवार
निरभ्र आसमान
चौथे तल्ले का
सबसे ऊपर का फ्लेट,
दिन के करीब ग्यारह।
नाश्ते के बाद
बंद पंखे के नीचे
पलंग पर
चादर तान
घंटे भर की नींद निकाल,
बस अभी-अभी उठा हूँ.....
ये मौसम-ए इंदौर है,
ठेठ नवतपा में।
निरभ्र आसमान
चौथे तल्ले का
सबसे ऊपर का फ्लेट,
दिन के करीब ग्यारह।
नाश्ते के बाद
बंद पंखे के नीचे
पलंग पर
चादर तान
घंटे भर की नींद निकाल,
बस अभी-अभी उठा हूँ.....
ये मौसम-ए इंदौर है,
ठेठ नवतपा में।
चलिए नींद तो आ गयी ... ये अच्छी बात है ...
ReplyDeleteयह भी ठीक है। कुछ न लिखने से बहुत ठीक है। मौसम का समाचार ही बताया जाय। आजकल एक सीरीयल देखने लगा हूँ..न बोले तुम न मैने कुछ कहा। मस्त सीरीयल है। आप भी देखते होंगे। इंदैर का राजबाड़ा दिखाता है। मैं रहा हूँ इंदौर में दो-चार दिन। घूमा हूँ वह छहमुहानी वाला राजबाड़ा।कमाल की जगह हैं। सिंखजी मस्त मिलती हैं वहाँ। खाने पीने की चीजें बढ़िया मिलती है। लोग भी बड़े शरीफ हैं। राह में भटकता था तो बड़े प्रेम से समझाते थे। जितनी बार पूछो उतनी बार समझाते थे। पान खाने के बाद चूना मांगता था तो हंसते थे। पूछते थे..बनारस से आये हैं क्या ?बनारस वाले तो एक से अधिक बार पूछो तो झल्ला जाते हैं..का मालिक? बतइली न..! कपार मत चाटा..!! जा इहाँ से। मौसम यहाँ का भी बहुत गरम है। आप चौथी मंजिल में केवल एक पंखा चलाकर सो पा रहे हैं ! यहाँ तो हम उबल जायेंगे।
ReplyDeleteएक पंखा चलाये बिना भी सो पा रहे हैं, वो भी जून में....तभी तो मौसम का हाल सुनाने की सूझी। पहले ही से झुलसते दिल्ली बनारस वालों को जलाने के लिए...सही कह रहे हैं, उधर जितना मौसम गरम रहता है उतना ही लोगों का भेजा भी!!
Deleteनवतपा तो ख़त्म हो गया. लगता है इस बार आपके यहाँ ज्यादा नहीं तपा.
ReplyDeleteवाह! मौसम ए इन्दौर........क्या बात है ....
ReplyDeleteyaha hyderabad mein to garmi ne chakke chhuta rakhe hain
ReplyDeleteTeasing me? Its burning in Delhi.
ReplyDeleteshort, sweet and simple!!
ReplyDeletecomment curt and sugar free too!
Deleteदेख लीजिए त्यागी साहब, हम तो कमेन्ट करने भी तब आये हैं जब दिल्ली में बारिश हो ली| आशा है इंदौर में भी मौसम ठीक होगा अब|
ReplyDeleteखुशामदीद, संजय भाई....अब तो हर तरफ बहार ही बहार है!
Deleteयहाँ तो वैसी ही गर्मी है।(:
Deleteनिरभ्र आसमान
ReplyDeleteचौथे तल्ले का
सबसे ऊपर का फ्लेट........bahut accha varnan nind ke bhane ....kavita acchi nhi bahut acchi lagi sir....
sir yahan bhi bahut garmi hai....
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ReplyDeleteसरकार-ए-आली, कहाँ हैं? अब तो नवशीता आने वाला है।
ReplyDeleteसब कुशल की आशा, अपेक्षा लगाये बैठे हैं।
bahut din ho gaya sir ..kuchh likh nahi rahe hain ?
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन: कोई दूर से आवाज़ दे चले आओ मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसुंदर !
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