Sunday, September 19, 2010

वो कौन था...?






  • वह जो कान से मोबाइल चिपकाये, दोनों जहानों से बेखबर सड़क पर इस अदा से चला जा रहा था कि रिमझिम बरखा में जुगाली करता भैसों का झुण्ड उससे रश्क करे. 
  • दूसरों को चुनौती देता सा कोई मतवाला जो सुबह-सुबह घर से चाय की प्याली नहीं बल्कि अमरता का प्याला पी कर निकला हो. गो ख़म ठोक कर कह रहा हो - 'है कोई माई का लाल, जो मेरा कुछ बिगाड़ सके...मैं अभी उसकी टांग के नीचे से निकलने को तैयार हूँ.
  • सड़क  पर उतर पड़ा एक ऐसा शख्स जिसके वास्ते हर वाहन चालक को चौकस और चौकन्ना रहना पड़ता है. डार्विन की 'सर्वाइवल इंस्टिंक्ट' की थ्योरी को गलत साबित करता एक चलता-फिरता उदाहरण! एक नए मुहावरे- 'मरता, तो भी कुछ न करता' को गढ़ता हुआ, जो अपनी सलामती का पूरा जिम्मा सामने वाले पर डाले रहता है.
  • भोले  नाथ का कोई सिर-चढ़ा  भक्त. चिलचिलाती धूप और कडकडाती ठण्ड में एक टांग पर खड़े हो कर किये घनघोर तप की फिरौती के रूप में जिसे भक्तवत्सल ने वरदान दिया हो ... 'बच्चे जा, तुझे न कोई ट्रक कुचल सकेगा, न डम्पर; न कोई कार तुझे टक्कर मार सकेगी न ही सिटी बस. जब तलक तू सड़क का दामन नहीं छोड़ेगा, सर्वथा सुरक्षित रहेगा. 
  • कुर्बानी  के जज्बे से लबरेज़ कोई शासकीय कर्मचारी, जो अपने निखट्टू बेटे के मोह में पड कर अपने जीवन की बलि देने चला हो ताकि बेटे को अनुकम्पा नियुक्ति दिलवा सके.
  • दोनों तरफ कतार बांधे खड़े कोर्निश बजाते दरबारियों के बीच से हो कर गद्दी नशीन होने जाते हुए जिल्ले-इलाही, आफ़ताबे-वतन, शहंशाहे हिन्दुस्तान की भटकी हुई आत्मा.
  • 'थर्ड पार्टी' जिसके नाम पर इंश्योरेंस  कम्पनियाँ अपना खजाना तो भर लेती हैं  किन्तु दैवीय चूक से जिसे कुछ हो जाने पर गाँठ ढीली करने के बजाय कानून छांटने लगती हैं
  • ......पता नहीं वह कौन था?...जो भी था, मगर रहा लाख होर्न बजाने के बावजूद बेसुध! 'मीर' साहब ने इनके लिए यूँ फरमाया है... तेरे बेखुद जो हैं सो क्या चेतें. ऐसे डूबे कही उछलते हैं. 

Thursday, September 9, 2010

इंडिया गोट टेलेंट

कुदरत का अपना सीधा-सीधा निजाम है. मौसम आने पर फूल खिलते हैं, वक़्त से फल लगते हैं और पक जाने पर टपक जाते हैं. आदमी का निजाम कुछ अलग ही है. विश्वविद्यालयों के इन्तेजाम की एक बानगी देखिये, हालात कमोबेश ऐसे हैं. कैलेण्डर  के हिसाब से माने तो अभी हम सत्र २०१०- २०११ के बीच में हैं. मगर विश्वविद्यालयों में सत्र २००६-०७ के विद्यार्थी परीक्षा परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिस पर कालिजों की मान्यता के विवाद के चलते माननीय न्यायालय ने रोक लगा रखी है. सत्र २००७-०८ की प्रायोगिक परीक्षाओं का दौर चल रहा है. २००८-०९ की पढाई परवान पर है तो साथ ही २००९-१० के प्रवेश भी जारी हैं. मुमकिन है कि २०१०-११, यानि मौजूदा सत्र की प्रवेश परीक्षा  का विज्ञापन जारी करने के लिए सचिवालय में अफसरों की बैठक हो रही हो. ...मानते हैं न- इंडिया गोट टेलेंट 
अंत में...
मम्मी ने अपने बेटे के स्कूली दोस्त प्रियेश के पापा का फोन नंबर प्रियेश डैड के नाम से सेव कर रखा था. एक दिन उनका एक अलग नंबर से फोन आया. मम्मी ने यह नया नंबर भी सेव करने की सोची. नाम की जगह थोडा सोचने के बाद लिखा...प्रियेश डैड २ और सेव का बटन दबा दिया.