दूर संचार क्रांति: एक
उनकी बीसवीं वेडिंग एनिवरसिरी थी। सेलिब्रेशन के लिए शहर के एक टॉप होटल में केंडल डिनर की एक टेबल बुक करा ली गई। कपल बन संवर कर होटल पहुंचा। आर्डर देने के बाद पति-पत्नी अपने-अपने मोबाइलों पर सगे सम्बन्धियों और हितैषियों से बधाइयाँ स्वीकारने लगे। होटल की तफसील, लिए-दिए गए गिफ्टों का ब्यौरा और डिनर के मेन्यु की सिलसिलेवार जानकारी देते-देते पता ही नहीं चला कि केंडल मुई कब गुल हो गई, डिनर कब ख़त्म हुआ।
इब्ने इंशा का एक शे'र है:
हमसे नहीं मिलता भी, हमसे नहीं रिश्ता भी
है पास वो बैठा भी, धोका हो तो ऐसा हो
दूर संचार क्रांति: दो
अतिथियों को लेने स्टेशन जाना था। गाड़ी पहुँचने के निर्धारित समय, ग्यारह बज कर चालीस मिनट से कोई घंटा भर पहले 'नेट' से गाड़ी की स्थिति जाननी चाही। इतना ही सुराग लग पाया कि सुबह छः बजे भवानी मंडी छोड़ चुकी है। लाचार हो कर हमने फोन का सहारा लिया। तब जो घटित हुआ उसकी बिना संपादन , अविरल प्रस्तुति निम्न है:
नमस्कार... भारतीय रेल की पूछताछ सेवा में आपका स्वागत है... हिंदी में जानकारी के लिए १ दबाएँ... गाडी की स्थिति जानने के लिए गाड़ी का नंबर दबाएँ... आपके द्वारा दबाया गया नंबर है-क...ख...ग...घ। यह नंबर गलत है। (जबकि नंबर एकदम सही था) ... धन्यवाद। फिर वही चक्र- नमस्कार...धन्यवाद।
पूछताछ नंबर १३१ पर संपर्क करने की जहमत उठाने का न अपना कोई इरादा था न ही इतना वक़्त। सो तुरंत स्टेशन कूच करने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहा। जब एक बजे तक भी गाड़ी प्लेटफार्म की तरफ आती नहीं दिखी, हम फिर पूछताछ खिड़की की ओर भागे। वहाँ सूचना पट्टपर लिखा था- पंद्रह मिनट देरी से। आखिर मेहमानों को लेकर घर पहुंचे तो थाने में गुमशुदगी की रपट लिखाने की मंशा से पत्नी ताला बंद करती मिली।
दूर संचार क्रांति: तीन
आपको कालिजों के इंस्पेक्शन पर जाना है। अर्जी दाखिल करते समय अक्सर कालिज कैम्पस में चल रहे अन्य कोर्सेस की जानकारी छुपा लेते हैं। इस कृत्य से आवेदित कोर्स के लिए आधारभूत सुविधाओं (बिल्डिंग, फर्नीचर, पुस्तकें आदि) को बढ़ा चढ़ा कर दिखा दिया जाता है। जैसे ही आपको पता चलता है कि कालिज की वेब साईट भी है, आप ख़ुशी से झूम उठते हैं । सोचते हैं- धन्य हो सूचना तकनीकी का युग- सब पर्दाफाश कर देगा! आप बैलगाड़ी और मजदूरों की टोली लेकर सूचना की लहलहाती फसल काटने सम्बंधित खेत पर पहुँचते है। सामने मिलता है एक तख्ती लगा सपाट खेत, जिस पर अमूमन लिखा होता है- खेत की जुताई जारी! असुविधा के लिए खेद। मेंड़ों पर उग आई खरपतवार हाथ आ जाए तो आपकी खुशकिस्मती, वरना तय मानिए कि सूचना के विस्फोट में उड़ गए आपके परखच्चे!!
त्यागी जी, हमरे देस का तरक्की का क्रांति का एतना बढिया सब्दचित्र आप खींचे हैं कि हमको अपने इस तरक्की पर गर्व होने लगा है... अब त ऊ दिन आने वाला है कि ऑफिस में काम करने वाली माँ अपने बच्चा को इस्कूल से लौटनेपर मेल करके बोलेगी कि बेटा खाना अपलोड कर दिए हैं, डाउनलोड करके खा लेना...
ReplyDeleteबहुत सटीक ब्यंग है आपका... भोगा हुआ यथार्थ.
kranti 2 padh k to hasi rukne ka naam hi nahi le rhi thi.. bahut achhe.. :)
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteBahut hi acha likha hai apne!!..khub maza aaya padh ke :)
ReplyDeleteThanks Rabindra, Hasya Fuhaar, Hanu and Verma Sahab for showing interest in the post!
ReplyDeleteI can relate the college inspection one very well.
ReplyDelete2 number (dur)ghatna kahan ki hai ?
हिंदी व्यंग्य के एक से एक अति उत्तम नमूने आपने सादर किये हैं. हर लेख की रचनात्मक सुन्दरता कमाल की है..
ReplyDeletesab jagah ek jaise haal hai. liked kranti 2 very much.
ReplyDeleteतीनों मजेदार है. नं0 1 तो एक नम्बर है.
ReplyDeleteयह शेर भी सटीक है...
हमसे नहीं मिलता भी, हमसे नहीं रिश्ता भी
है पास वो बैठा भी, धोका हो तो ऐसा हो
Hamne socha na tha ki ek din aisa bhi ayega jab aap hampe vyang karoge! Khair, teeno hi kaafi majedar hai! Aur gaadi toh ham dilwa k hi rahenge kabhi na kabhi! Fark yeh hai ki gadi aapki hogi,Jacchgi hamari!!
ReplyDeletemast collection hai uncle aur bihari uncle ka upload download wala joke bhi mast laga :)
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