फर्क
पहले खिलाडी फुर्सत के लम्हों में खेलते थे, अब उन्हें खेलने से ही फुर्सत नहीं है। खेल पहले दिल बहलाव का जरिया था अब तो लगातार खेलने की वजह से दिल बहलाने की जरूरत पड़ती है।मंजर
एक से एक बढ़ कर एक नस्ल के घोड़े जहाँ जान हलकान कर दौड़ रहे हों, रेसकोर्स की सीमा पर दांव लगाने वाले फ्रेंचाइजी अपने- अपने घोड़ों की बढ़त पर उन्माद से झूम रहे हों, हाथ पाँव फेंक रहे हों...बस समझिये यह आई पी एल का मंजर है।
परफेक्शन
वह अवस्था जिसमे रचना में और अधिक सुधार करने से बिगाड आने लगे!
आज का सुग्रीव
जो अपनी गाडी इस तरह पार्क कर दे जैसे गुफा के मुहाने कोई शिला अड़ा दी गई हो... फिर किसकी मजाल जो पार्किंग से अपनी काइनेटिक भी निकाल ले जाए!
खानदानी लोग
लैंड लाइन धारक लोग। सिर्फ मोबाइल रखने वाले उन खानाबदोशों की तरह है जिनका कोई निश्चित ठौर- ठिकाना नहीं होता।
मीनोपौज़
अट्ठावन से पैंसठ वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट का समय जब पुरुषों का मासिक (वेतन) आना बंद हो जाता है, पुरुष मीनोपौज़ कहलाता है।
अध्यापक
जिहव चेष्टा, नोट्स ध्यानं, एको मुद्रा सदैव च
दंडधारी, अहंकारी, अध्यापकम पञ्च लक्षणं।
दंडधारी, अहंकारी, अध्यापकम पञ्च लक्षणं।
hasya ka prayog kar aise sanjeeda prashn koi aur itna khoobsurti se nahi pooch sakta aapke alawa..
ReplyDeleteaapki rachna me aaj ke samaj ka sach, baar baar, usi tarah saaf dikhai deta hai jaise dhoni ki shadi ka news channels pe telecast :)
sir teacher ko aapake siva kaun achhe se 'DEFINE'kar sakta hai...........apane pehle bhi ise sunayaa tha.purusho ka menopause walla achha hai nahi to sirf mahilao ke menopause ki hi baat hoti hai..........
ReplyDeleteWELL I COULDN'T CALL U ON YOUR B'DAY............SO BELATED HAPPY B'DAY.......THE OLDER U GET THE BETTER U GET.
hahaa.. adhyapak, perfection were the best!
ReplyDeletemenopause to bahut hi badhiya lga.. :)
Thank you madam Smita for your wishes, and Nipun, Hanu for your minute and heart-warming comments!!
ReplyDeleteBahut achaa laga padh ke...:)
ReplyDeleteत्यागी जी, आज त आपका पोस्ट पढला के बाद ई फैसले करना मोस्किल हो रहा है कि हँसे कि आँसू बहाएँ...कहीं कहीं मजाक है, त कहीं ब्यंग है और कहीं दर्द...मास्टर वाला बात त हँसने से जादा रोने का है, जहाम मास्टर अईसा हो जाएगा ओहाँ सिक्सा का हाल होगा... हमरे तरफ से धन्यवाद सुइकारिए!!
ReplyDeleteAti uttam !! Agree in complete with Hanu !!
ReplyDeleteAti Uttam !! Agree with Hanu in complete !!
ReplyDeleteSir, even though I had to ask Hanu for translations for every line, it was totally worth it. Thanks for improving my Hindi in such an enjoyable way.
ReplyDeleteThanks, Anupam for your perseverence! Hope you require no more duets with Hanu and soon be a solo reader!!
ReplyDeleteAmazing!! Liked "Aaj Ka Sugreev".
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