Tuesday, October 12, 2010
शरीफ बदमाश
जगतनारायण का शहर में औसत कारोबार था. सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था कि एक दिन उन पर गाज गिरी. उनके बेटे मासूम को स्कूल के रास्ते से अगुवा कर लिया गया. देर रात गए फोन पर बदमाशों ने बीस लाख की फिरौती मांगी. जगतनारायण रकम सुन कर धक् से रह गए...गिडगिडा कर बोले, रकम बहुत ज्यादा है. मेरी इतनी हैसियत नहीं, मैं बिक जाऊँगा तो भी इतनी बड़ी रकम नहीं चुका पाऊंगा सरकार! उधर से कड़क आवाज़ आई- मूर्ख मत समझो हमें, जगतनारायण....हम धंधे में नए-नए नहीं हैं, सालों का तजरबा है हमें!...बहुत सोच समझ कर ही रकम बाँधी है हमने तुम्हारे लिए .बच्चे की जान चाहते हो तो सीधे से रकम चुका दो वरना....!!मैं सड़क पर आ जाऊंगा हुजूर, रकम थोड़ी कम कर देते....कुछ तो रहम कीजिए.... पैसों में एक धेला भी कम नहीं होगा. चलो इतनी मोहलत दिए देते हैं ....तुम एक मुश्त के बजाय तीन, चार, या छः आसान किश्तों में फिरौती चुका दो!!!
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त्यागी सर! ई एम आई ने इस कदर जकड़ लिया है समाज को कि अब अपराधी भी इसकी सुविधा देने लगे हैं... वैसे भी अपनी महीने की पूरी कमाई तो आज बंधुआ मज़दूर की तरह पहले ही इंसान गँवा चुका होता है... एक बहुत ही सटीक व्यंग्य आज के ई एम आई संस्कृति को!
ReplyDeleteaccha vuang.
ReplyDeleteHope they do not return the son in EMIs :P
ReplyDeleteNice one !!
Very well written!
ReplyDeleteand this is how Google Translated your Post...
Jagtonarayan did average business in the city. Everything was running fine one day lightning struck them. His son innocent of the way the school had been kidnapped. Late at night on the phone asked for a ransom of two million by miscreants. Jagtonarayan hearing Dhch amount left to do ... Giadgida said, the amount is too much. Not me so much capacity, even if I'd sold Puanga government has not such a big amount! Meanwhile, strong voice came from - Do not fool us, Jagtonarayan .... we new in the business - are not new, years, we have the know-how! ... Much consideration we have tied the money for you. Child's life to repay the amount if two otherwise straight ....!!I'll go on the road coming sir, reduce the amount a charity .... do something .... Less money will not be a Dhela. The delay .... so let's give you a lump sum rather than three, four, or six easy installments have ransom Let!
Aap kuch is technology par bhi likhiye!
waah waah.. kishto ka itna prabhaav?!
ReplyDeleteGoogle deserves 21-gun salute for the job, nikhil ji! Simply hilarious!!
ReplyDeleteVery curt observation, ambuj and Hanu.
Thanks for being the first to comment consistently, salil ji and showing so much apnatva by 'apnatv'
tyagi sir bahut hi achha lekh tha...usne dikha diya ki aakhir badmash bhi insaan hi hote hain ;)
ReplyDeletemasterji, no blog for so many days ?? Give us one doze before leaving for Diwali holidays !!
ReplyDeletePahle Pune, fir Raipur, Fir Poonam ka Ph.D. Viva aur ab Delhi- Muzaffarnagar, isliye agla doze diwali ke bad hi banata hai!!!
ReplyDeleteकमर्शियलाईज़ेशन ऑफ़ रैनसम इंडस्ट्री..!!
ReplyDeleteजबरदस्त पंच, त्यागी साहब।
एक आपका ब्लॉग और एक काजल कुमार जी का ब्लॉग, पता नहीं मुझसे क्या नाराजगी है कि कमेंट लेते ही नहीं हैं। आज भी पता नहीं स्वीकारा जाता हूँ या नहीं।
हमारे अहो भाग्य जो आप पधारे. दरअसल हम अपने ब्लॉग से ही नाराज़ चल रहे थे! अपने तथा दूसरों के ब्लोग्स से कटे हुए थे . आज आपके कमेंट्स ने ही हमें की -बोर्ड की तरफ धकेला है!! जल्दी ही फिर पुराने ढर्रे पर लौटेंगे. उम्मीद है!!
ReplyDeletenice blog good presentation interesting ........
ReplyDeleteशुभकामना है कि आपका ये प्रयास सफलता के नित नये कीर्तिमान स्थापित करे । धन्यवाद...
ReplyDeleteआपका ब्लॉग अच्छा है |
आप मेरे ब्लाग पर भी पधारें व अपने अमूल्य सुझावों से मेरा मार्गदर्शऩ व उत्साहवर्द्धऩ करें, ऐसी कामना है । मेरे ब्लाग जो अभी आपके देखने में न आ पाये होंगे अतः उनका URL मैं नीचे दे रहा हूँ । जब भी आपको समय मिल सके आप यहाँ अवश्य विजीट करें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/
http://dineshsgccpl.blogspot.com/
http://pareekofindia.blogspot.com/
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
कहाँ गायब हैं प्रोफ़ैसर साहब? आपने तो वादा किया था कि पुराने ढर्रे पर लौटेंगे, चार महीने होने को आये।
ReplyDeleteइंतजार है।
साहब जी, ये वर्ड वैरिफ़िकेशन काहे अड़ाये हैं?