शांतिपूर्ण आन्दोलन उस वक़्त हिंसक हो उठा जब प्रदर्शनकारियों में से किसी ने अचानक पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। मामले की गंभीरता भांपते हुए दंगा निरोधक बल की एक टुकडी तत्काल घटना स्थल की और रवाना कर दी गई। उग्र भीड़ को बेकाबू होते देख जिले के आला अफसर भी मौके पर पहुँच गए। फायरिंग की चेतावनी समेत खूनखराबे पर उतारू भीड़ को तितर-बितर करने के सभी उपाय बेअसर रहे। तभी जिला अधिकारी ने माइक संभाल कर दंगाइयों को संबोधित किया। उनकी घोषणा के चंद मिनटों के अन्दर घटना पूरा स्थल खाली हो गया।
सभी प्रदर्शनकारी पानी भरने के लिए अपने अपने घरों को खिसक चुके थे।
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