वह अस्पताल के बैड पर
लेटी थी निशब्द और निश्चेष्ट
मरीज़ देखने एक अन्दर गया
अन्दर वाले उसी क्षण बाहर आ गए।
उसके बाद अगलों की बारी थी
लोग बारी-बारी अन्दर बाहर होते रहे।
शून्य में ताकती वैसे ही पड़ी रही वह, निर्विकार
यह सिलसिला बिना टूटे यूँ ही चलता रहा
जब तक कि पूरे
'विजिटिंग आवर्स' समाप्त नहीं हो गए।
the real meaning of the post comes with the heading.. good job!
ReplyDeleteAgree with Hanu !!
ReplyDeleteHeading is the crux !!