Saturday, September 12, 2009

तू ही जीता, बेटा!

हमेशा की तरह
उन दोनों में
एक दिन फिर ठन गई।
तबाही का कौनसा साजो-सामान नहीं है
मेरे पास?
मिसाईल है, रॉकेट है, परमाणु बम है।
बता, तेरे पास क्या है ?
बोली, बेटा मेरे पास मच्छर है।
बेटे की बोलती बंद!
सिर शर्म के मारे झुक गया।
ना बेटा, जी छोटा नहीं करते
इनको पालने- पोसने का बंदोबस्त
तो तू ही करता है ,
पनाह तो तू ही देता है
इसलिए तू ही जीता बेटे, मै हारी।

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