Saturday, September 19, 2009
नया टर्मिनल १(म)
जब से मवेशियों के दिन फिरे और वे हवाई सफर करने लगे तभी से देश की दिग्गज एयरलाइंस ने उडान में मुफ्त नाश्ता सर्व करना बंद कर दिया। इसके कई कारण थे, कुछ छोटे, कुछ बड़े। एक तो इन नव-यात्रियों को छुरी-कांटा सभ्यता छू तक नहीं गई थी। दूसरा, इनकी मन पसंद डिश पैक करने वाली कोई बहुराष्ट्रीय कम्पनी अभी तक हिंदुस्तान में नहीं आ पाई थी। और तीसरा जो है वह ये कि जानवरों को क्या खेत चराना? अब दिव्य पुरुषों की तरह इस क्लास को ऊंचे किस्म के दुखों का सुभीता तो था नहीं, जो भी दुःख थे सारे के सारे दैहिक ही थे। सो पेट के भरण, स्वाद-तंतुओं के पोषण और शारीरिक कष्टों के निवारण के लिए एक प्रतिनिधि मंडल को नागरिक विमानन मंत्री से मुलाकात के लिए दिल्ली भेजा गया। बैठक में प्रतिनिधियों ने सरकार के सामने हर घरेलू विमान तल पर एक कैटल-फ्रैंडली टर्मिनल बनाये जाने की पुरजोर मांग की- एक ऐसा टर्मिनल जिसमे चाहरदीवारी के स्थान पर चरने-योग्य बागड़ उगी हो तथा जहाँ सोफ्टी , चाकलेट और केक के बदले ताज़े चारे के हरे-हरे गुच्छे या फ़िर चोकर-खली मिक्स्ड भूसे की लुगदी के कोन मिलते हों। टर्मिनल में फ्रेश होने के लिए एक पोखर अथवा जोहडी तथा फुर्सत के लम्हों में तसल्ली से जुगाली करने के लिए मखमली दूब युक्त लॉबी होना बेहद जरूरी है। एक (म) के नाम से नए टर्मिनल की मंजूरी को लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि चौतरफा अलगाव की मार झेल रही सरकार 'कैटलिस्तान' के लिए एक नया मोर्चा खोलने का जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं है।
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if i were to ask you to write.. this would exactly be it..!!
ReplyDeletesomething on the 'what is happening now-a-days' lines..
this is ecstatic!! even the selection of the topic :) :)
Motivated by Shashi Tharoor Ehh !!!
ReplyDeleteAwesome !!!