Saturday, June 13, 2009

जलोपनिषद

पानी एक है, निराकार है, किंतु हम सांसारिक जीवों को यह टैंकर, टंकी, बाल्टी आदि के रूप में दिखता है। यह सब प्रकार के बंधनों से परे है मगर मोह माया के अज्ञान में पड़ कर प्राणी इसे तेरा मेरा समझने लगते हैं व सिर-फुटौवल करते हैं।

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