रेलवे क्रॉसिंग
फाटक के बंद होते ही सड़क के समूचे फाट पर दोनों तरफ तरह-तरह के वाहनों की कतारें लग गयी। ऐसा लगने लगा मानों पानीपत में युद्ध के लिए विरोधी सेनायें एक दुसरे के सामने आन डटी हों। अगरचे रेलगाड़ी अभी पूरी गुजरी भी नहीं थी कि एकाएक दोनों ओर से दुन्दुभियों और रणभेरियों की कर्कश चिंघाड़ों से धरती थर्रा उठी, आसमान कांप उठा। इससे पेश्तर कि फाटक उठ कर आसमान की ओर ताकता, आमने सामने की गाड़ियाँ बड़ी तबियत के साथ एक दुसरे से गुत्थमगुत्था हो गयी। इस जंगी भिडंत में दूर -दूर तक न कोई कायदा नज़र आता था न दस्तूर। लिहाज़ा कहीं पैदल टुकड़ियां घुड़सवार दस्तों में जा धंसी थी तो कहीं हाथियों के दल पैदल सैनिकों से चौतरफा घिर गए थे। फिर तो वो घमासान मचा कि क्या कहने! घंटों बाद ही मंज़र साफ हो सका।पंछी नील गगन के
वे महाशय दफ्तर के बाबू थे कोई अम्पायर नहीं, जो पहली से आखिरी गेंद फेंके जाने तक मैदान पर खड़े रहने को अभिशप्त हों और न ही मजबूर कि ड्रिंक्स के समय जल ही लें या लंच तभी लें जब लंच इंटरवल हो। वे नौकर जरूर थे मगर सरकार के, सो खुद मुख्तार थे , मालिक थे।
ekdam faatak ka scene aanho ke samne ghum gaya :)
ReplyDeletebehad satik drashya banaya aapne :)
bahut khoob sir doosra wala to bahut jaandaar tha..
ReplyDeletemujhe nahi lgta ki sarkari babuo ki intni purzor tarafdaari aaj tak kisi ne ki hogi :)
ReplyDeletein 2 panktiyo ne ye siddh kiya hai ki aise ilzam, sachhai se thode pare, amooman hi sarkari babuo par laga diye jate hain..
saaj-e-bharat kitna he gaa lo,
ReplyDeletetakdeer tumhari he footi hai|
kehte ho gatar me paida hua huu,
dunia jise sone ki chida kehti hai ||
वह कहते हैं न नौकरी सरकारी है पर सर्कार तोह हमारी है ;)
ReplyDeleteबहुत खूब सर!
mera blog id aapne post karne ko kaha tha so kar raha hoon - www.rgboflife.blogspot.com
nice
ReplyDeleteyeh (dur)ghatnaa kahan ki hai ??
ReplyDeleteIndore me CAT jaate hue, railway fatak par
ReplyDeleteBahoot khoob par ismen se aap kaphi kuch kha gaye. Wakye wale din matter kuch jyada masaledar tha kagaj par aane se pehle
ReplyDeletenahi, maine sach kaha hai, sach ke sivaay kuchh bhi nahi kaha hai!So,ilzam bebuniyaad hai.
ReplyDelete... amalgamation of reality and comedy ... at is best and fullest ... with pin pointed wit and hilarity.
ReplyDeleteYou are welcome, your comments are welcome, Rajeev ji!
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